क्षेत्रीय नियोजन : परिभाषा, महत्व और प्रक्रिया

क्षेत्रीय नियोजन

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परिचय

क्षेत्रीय नियोजन (रिजनल प्लानिंग) आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए क्षेत्रीय संसाधनों और बुनियादी ढांचे (बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर) के रणनीतिक विकास (स्ट्रैटेजिक डेभलपमेंट) और प्रबंधन (मैनेजमेंट) की एक प्रक्रिया है। यह नियोजन का एक व्यापक दृष्टिकोण है जो एक क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं - जैसे प्राकृतिक पर्यावरण, भूमि उपयोग और प्राकृतिक संसाधनों के बीच के अंतर्संबंधों पर विचार करता है और उनके विकास की योजना विकसित करता है।

परिभाषा

क्षेत्रीय नियोजन एक अग्रसोंची और सक्रिय (प्रोएक्टिव) प्रबंधन की प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य किसी क्षेत्र में व्याप्त अवसरों और चुनौतियों की पहचान करके उस क्षेत्र विशेष के निवासियों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए रणनीतिक निर्णय (स्ट्रैटेजिक डीसीजन) लेना है। इस का उद्देश्य एक क्षेत्र के लिए एक सतत निर्वाहयोग्य स्थायी भविष्य (सस्टेनेबल फ़्यूचर) सुनिश्चित करना है।

क्षेत्रीय योजना का महत्व

शहरीकरण, पर्यावरणीय ह्रास और सामाजिक असमानता की चुनौतियों का समाधान करने और सतत विकास को बढ़ावा देने में क्षेत्रीय नियोजन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्षेत्रीय नियोजन के महत्व निम्नलिखित हैं:

संसाधन का कुशल उपयोग

क्षेत्रीय नियोजन की प्रक्रिया संसाधन संरक्षण, पुनर्चक्रण और पुनर्जनन (पुनर्नविनिकरण) के अवसरों की पहचान करके संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा देता है। यह सुनिश्चित करता है कि प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी रूप से उपयोग किया जाता है और क्षेत्र का विकास उसकी निर्वहन क्षमता के साथ संतुलित होता है।

आर्थिक विकास

क्षेत्रीय नियोजनकर्ता आर्थिक अवसरों की पहचान करता है और व्यवसायों के विकास और रोजगार सृजन के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में सहयोग करता है। यह सतत आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहयोग करता है और उसके लिए अनुकूल भूमि उपयोग नीतियों का समर्थन करता है। साथ ही बुनियादी ढांचे और परिवहन नेटवर्क का विकास सुनिश्चित करता है।

सामाजिक समानता

क्षेत्रीय नियोजन का उद्देश्य एक संतुलित और समावेशी समाज का निर्माण करना है जहां हर किसी के पास मूलभूत सुविधाओं, आवश्यक सेवाओं और अवसरों तक पहुंच (एक्सेसीबीलिटी) हो। क्षेत्रीय नियोजन यह सुनिश्चित करता है कि आवास नीतियों में सीमांत और कमजोर आबादी को भी शामिल किया गया है साथ ही परिवहन नेटवर्क को भी सभी निवासियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास

क्षेत्रीय नियोजन विविध जैव प्रजातियों के प्राकृतिक आवासों के संरक्षण का काम करता है और जैव विविधता को बढ़ावा देकर पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने काम करता है। क्षेत्रीय नियोजन यह सुनिश्चित करता है कि विकासात्मक गतिविधियां क्षेत्र की पर्यावरणीय स्थिरता और गुणवत्ता से समझौता (कप्रोमाइज़) नहीं करती हैं। क्षेत्रीय नियोजन यह भी सुनिश्चित करता है कि क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और संरक्षित रखा गया है।

आपदा प्रबंधन

क्षेत्रीय नियोजन किसी क्षेत्र की दुर्बलताओं या कमजोरियों की पहचान करके आपदाओं के प्रति उनकी जोखिम (रिस्क) को कम करने के लिए रणनीति विकसित करने का काम करता है। इस तरह क्षेत्रीय नियोजन आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्षेत्रीय नियोजन यह सुनिश्चित करता है कि क्षेत्र का बुनियादी ढांचा (बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर) प्राकृतिक आपदाओं के लिए अनुकूल या अनुरूप है। क्षेत्रीय नियोजन यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली मौजूद है।

क्षेत्रीय योजना की प्रक्रिया

क्षेत्रीय नियोजन एक जटिल और सतत प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न चरण शामिल हैं। क्षेत्रीय नियोजन के विशिष्ट चरण निम्नलिखित हैं:

स्थानिक विश्लेषण और मूल्यांकन

स्थानिक विश्लेषण और मूल्यांकन की प्रक्रिया में भूमि उपयोग, बुनियादी ढांचे और प्राकृतिक संसाधनों के सहित उस क्षेत्र की भौतिक विशेषताओं का आकलन करना शामिल है। योजनाकार इन पहलुओं का विश्लेषण करके, अवसरों और बाधाओं की पहचान कर सकते हैं, जिससे वे भविष्य के विकास के विषय में सूचनाओं पर आधारित निर्णय लेने में सक्षम हो सकें।

जनसांख्यिकी विश्लेषण और आकलन (अनुमान)

प्रभावी योजना के लिए योजनाकार किसी एक क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना और प्रवृत्तियों को समझना महत्वपूर्ण है। जनसंख्या वृद्धि, प्रवास के प्रतिरूप (पैटर्न) और आयु संरचना के वितरण का अध्ययन करके, आवास, परिवहन, स्वास्थ्य और शैक्षिक सुविधाओं की भविष्य की जरूरतों (माँगों) का अनुमान लगा सकते हैं।

आर्थिक मूल्यांकन

क्षेत्रीय नियोजन के लिए किसी क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों का आर्थिक मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत औढयोगिक क्षेत्रों और रोजगार के अवसरों की पहचान की जाती है। यह विश्लेषण विकास के क्षेत्रों को पहचानने, निवेश आकर्षित करने और आर्थिक विविधता को बढ़ावा देने में सहायता करता है। इससे क्षेत्रीय विकास में वृद्धि होती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग

इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग के अंतर्गत परिवहन नेटवर्क, संचार प्रणालियों और सार्वजनिक सुविधाओं के विकास की संभावना की पहचान की जाती है और उन्हें विकास की प्राथमिकता में शामिल किया जाता है। योजनाकार पर्याप्त बुनियादी ढांचे की उपलब्धता को सुनिश्चित करके, समुदायों को सुचारू कामकाज की सुविधा प्रदान करते हैं। इसके साथ ही योजनाकार आर्थिक विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देते हैं।

भूमि उपयोग नियोजन

भूमि उपयोग नियोजन के अंतर्गत आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक और मनोरंजक क्षेत्रों जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए भूमि आवंटित करना शामिल है। योजनाकार पर्यावरणीय कारकों, पहुंच (एक्सेसीबिलिटी) और सामुदायिक आवश्यकताओं पर विचार करके, भूमि उपयोग का नियोजन करते हैं। यह प्रक्रिया सतत विकास को बढ़ावा देती है और सामाजिक संघर्षों को कम करती है।

पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास

क्षेत्रीय नियोजन के अंतर्गत विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया जाता है। योजनाकार हरित क्षेत्रों (स्थानों) को संरक्षित करने, कचरे का समुचित प्रबंधन करने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने, जैसे प्रयवर्णीय दृष्टि से स्थायी प्रवृत्तियों को शामिल करके, पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास के अनुकूल क्षेत्रों का निर्माण करते हैं।

परिवहन नियोजन

क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और गतिशीलता के लिए कुशल परिवहन नेटवर्क महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए योजनाकार व्यापक परिवहन प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों और सार्वजनिक परिवहन को एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य भीड़ को कम करना होता है और पहुंच (एक्सेसीबिलिटी) में सुधार करना होता है।

सामाजिक समानता और समावेश

क्षेत्रीय नियोजन का उद्देश्य असमानता को संदर्भित करते हुए सामाजिक समानता और समावेश सुनिश्चित करना है। क्षेत्रीय नियोजन का उद्देश्य संसाधनों और अवसरों तक समान पहुंच को बढ़ावा देना होता है। क्षेत्रीय नियोजन के अंतर्गत इसके लिए समुदाय के सभी सदस्यों के लिए किफायती आवास, स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक सुविधाओं, संस्थानों और मनोरंजक स्थानों की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है।

प्रशासन और नीति विकास

प्रभावी प्रशासन और नीति विकास क्षेत्रीय नियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। क्षेत्रीय उद्देश्यों के संरूप नीतियां बनाने के लिए और पारदर्शी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए, सरकारों, हितधारकों और समुदायों के बीच सहयोग आवश्यक होता है।

सामुदायिक सम्बद्धता

सामुदायिक सम्बद्धता के लिए योजना प्रक्रिया में स्थानीय निवासियों और हितधारकों को सक्रिय रूप से शामिल करना अपेक्षित होता है। योजनाकार उनके सुझावों (इनपुट) को प्राप्त करके, नियोजन के संबंध में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं। सामुदायिक सम्बद्धता स्वामित्व की भावना को बढ़ावा देने का काम करती है। इसके परिणामस्वरूप अधिक उत्तरदायी और समावेशी क्षेत्रीय योजनाएँ बनायी जा सकती हैं।

निष्कर्ष:

अंत में, क्षेत्रीय नियोजन एक व्यापक,  अग्रसोंची और सक्रिय (प्रोएक्टिव) प्रबंधन की प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य क्षेत्रों के लिए एक स्थायी भविष्य की योजना बनाना है। क्षेत्रीय नियोजन एक क्षेत्र विशेष के विभिन्न पहलुओं, जैसे प्राकृतिक पर्यावरण, भूमि उपयोग और प्राकृतिक संसाधनों के बीच अंतर्संबंधों पर विचार करके, कुशल संसाधन उपयोग, आर्थिक विकास, सामाजिक समानता (इक्विटी), पर्यावरणीय स्थिरता और आपदा प्रबंधन को बढ़ावा देती है। स्थानिक विश्लेषण, जनसांख्यिकीय मूल्यांकन, आर्थिक मूल्यांकन और बुनियादी ढांचे की योजना के माध्यम से, क्षेत्रीय नियोजन यह सुनिश्चित करती है कि विकास अच्छी तरह से प्रबंधित, संतुलित और क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप हो। क्षेत्रीय नियोजन स्थानीय समुदाय को शामिल करके और मजबूत शासन संरचनाओं की स्थापना करके, एक सहयोगी प्रयास बन जाता है जो उन लोगों की आकांक्षाओं और मूल्यों को दर्शाता है जिनकी वह सेवा करता है।

क्षेत्रीय नियोजन, क्षेत्रीय संसाधनों और बुनियादी ढांचे के रणनीतिक विकास (स्ट्रैटेजिक डेभलपमेंट) और प्रबंधन (मैनेजमेंट) को आकार देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही यह, वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए एक संपन्न और स्थायी और सतत निर्वाहयोग्य (सस्टेनेबल) क्षेत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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