प्रकृति और कार्यक्षेत्र

मानव भूगोल

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अध्ययन की प्रकृति (Nature)

मानव भूगोल (human geography) भूगोल की प्रमुख शाखाओं में से एक है। यह मानव और प्राकृतिक पर्यावरण के साथ उनके अनुकूलन (adaptation) या समायोजन (adjustment) का वर्णन करता है। इसके अध्ययन के एक पक्ष में मनुष्य और उसकी गतिविधियों को शामिल किया गया है और दूसरे पक्ष में मनुष्य और उसकी गतिविधियों पर प्राकृतिक पर्यावरण के प्रभाव पर विचार किया जाता है।

अत: यह कहना कि मानव का अपने भौतिक एवं सांस्कृतिक वातावरण के साथ अनुकूलन एवं समायोजन का अध्ययन मानव भूगोल है। यह विभिन्न क्षेत्रों और परिदृश्यों में मानव और प्रकृति के अंतरसंबंधों (interrelationship) या मनुष्य और पर्यावरण के बीच के संबंधों के साथ ही जनसंख्या (आबादी), संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं के वितरण के अध्ययन से संबंधित है।

यह ज्ञान का अद्वितीय क्षेत्र है क्योंकि यह मानव गतिविधियों के विभिन्न पहलुओं का स्थानिक (spatial) और कालिक (temporal) रूप से (समय के साथ बदलते हुए) विवरण प्रस्तुत करता है और पर्यावरण पर उनके प्रभावों की व्याख्या है।

परिभाषा

मानव भूगोल को मानव के स्थानिक संगठन और भौतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पर्यावरण के साथ उनकी निर्भरता के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

इसलिए, मानव भूगोल को सामाजिक विज्ञानों और प्राकृतिक विज्ञानों के बीच एक सेतु के रूप में माना जाता है, क्योंकि यह मनुष्य और प्रकृति (पर्यावरण) के बीच के संबन्धों के संदर्भ में मानव गतिविधियों (और मानव व्यवहार) का अध्ययन करता है।

मानव भूगोल की प्रकृति

मानव भूगोल के अध्ययन का क्षेत्र अत्यंत व्यापक और विविध है, साथ ही यह लगातार विकसित हो रहा है। इसमें विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला का अध्ययन शामिल है। इसके अंतर्गत - जनसंख्या वितरण और प्रवास (population distribution & migration), सांस्कृतिक भूदृश्य (cultural landscape), आर्थिक व्यवस्था (economy), शहरीकरण (urbanisation) और पर्यावरण पर मनुष्यों के प्रभाव

 जैसे विषयों को शामिल किया जाता है। यह मानव गतिविधियों (और मानव व्यवहार) तथा पर्यावरण पर उनके प्रभावों के विषय में जानकारी एकत्र करने और निष्कर्ष निकालने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों शोध विधियों का उपयोग करता है।

मानव भूगोल एक अंतःविषयक अध्ययन का विज्ञान है जो मानव विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और पर्यावरण विज्ञान सहित विभिन्न विषयों में उपयोग किए जाने वाले विचारों (अवधारणाओं) और विधियों पर आधारित है। यह बहु-विषयक दृष्टिकोण मानव भूगोलवेत्ताओं को मनुष्य और प्रकृति के बीच स्थापित जटिल संबंधों को ध्यान में रखते हुए मानव गतिविधियों (और मानव व्यवहार) तथा पर्यावरण का समग्र दृष्टिकोण से अध्ययन करने में सक्षम बनाता है।

मानव भूगोल के अध्ययन का क्षेत्र

मानव भूगोल के अध्ययन का क्षेत्र विस्तृत है और इसमें विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। मानव भूगोल में अध्ययन के मुख्य क्षेत्र इस प्रकार हैं :

जनसंख्या वितरण और प्रवास : विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या कैसे वितरित है, मानव भूगोलवेत्ता इसका अध्ययन करते हैं। वह यह भी अध्ययन करते हैं कि प्रवास की प्रक्रिया और उसका पैटर्न जनसंख्या वितरण को कैसे प्रभावित करते हैं। मानव भूगोलवेत्ता उन सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारकों का भी अध्ययन करते हैं जो प्रवास पैटर्न को प्रभावित करते हैं।

सांस्कृतिक भूदृश्य : मानव भूगोलवेत्ता उन प्रवृत्तियों का अध्ययन करते हैं जिनमें मानव संस्कृतियाँ आकार लेती हैं और भौतिक वातावरण द्वारा स्वरूप ग्रहण करती हैं। इसमें मानव निर्मित पर्यावरण (सांस्कृतिक भूदृश्य), भाषा, धर्म और अन्य सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन शामिल है।

आर्थिक प्रणालियाँ : मानव भूगोलवेत्ता उन कारकों का अध्ययन करते हैं जो मानवीय गतिविधियों (और मानव व्यवहार) को प्रभावित करते हैं। भूगोलवेत्ता उत्पादन, उपभोग और व्यापार के पैटर्न और आर्थिक प्रणालियों पर वैश्वीकरण के प्रभाव का भी अध्ययन करते हैं।

राजनीतिक भूगोल : मानव भूगोलवेत्ता उन प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं जिनके द्वारा राजनीतिक व्यवस्थाओं का शृजन होता है और राजनीतिक व्यवस्थाएं कैसे क्षेत्रों में शक्ति और संसाधनों के वितरण को प्रभावित करते हैं। इसमें सीमाओं, संप्रभुता और भूराजनीति का अध्ययन शामिल है।

शहरीकरण : मानव भूगोलवेत्ता शहरीकरण के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों सहित शहरों और शहरी क्षेत्रों के विकास का अध्ययन करते हैं।

पर्यावरणीय प्रभाव : मानव भूगोलवेत्ता जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और प्रदूषण के प्रभावों सहित पर्यावरण पर मानवीय क्रियाकलाप के प्रभाव का अध्ययन करते हैं।

निष्कर्ष :

कहा जा सकता है कि, मानव भूगोल के अध्ययन का क्षेत्र आकर्षक और गतिशील (डाइनैमिक) है जो मानव गतिविधियों (और मानव व्यवहार) तथा पर्यावरण के बीच के जटिल संबंधों को समझने और समझाने की कोशिश करता है। यह जनसंख्या वितरण और प्रवास, सांस्कृतिक भूदृश्य, आर्थिक व्यवस्था, राजनीतिक भूगोल, शहरीकरण और पर्यावरण पर मनुष्यों के प्रभाव सहित अन्य विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला का अध्ययन करता है।

मानव भूगोलवेत्ता अध्ययन करते हैं कि कैसे लोग एक दूसरे के साथ और उनके पर्यावरण के साथ संबंध स्थापित करते हैं और कैसे यह अंतरसंबंध उस परिवेश को आकार देती है जिसमें हम रहते हैं।

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