समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप

प्रायोगिक भूगोल

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परिचय

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप या लैम्बर्ट बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप एक मानचित्र प्रक्षेप है जो पृथ्वी की सतह के क्षेत्र को मानचित्र पर संरक्षित रखता है। इस प्रक्षेप को पृथ्वी की विशेषताओं को एक सिलेंडर पर प्रक्षेपित करके बनाया जाता है। इस प्रक्षेप की रचना में भूमध्य रेखा एक स्पर्शरेखा का कार्य करती है। जिसके परिणामस्वरूप अक्षांश (समानांतर रेखाएँ) और मेरिडियन या मध्याह्न (देशांतर की रेखाएँ) सीधी रेखाओं के रूप में प्रक्षेपित दिखाई देती हैं।

---------- विशेषताएँ ----------

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप में कई विशेषताएं हैं, जो इसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी बनाती हैं।

समान क्षेत्र :

बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप की प्रमुख विशेषताओं में से एक विशेषता यह है कि यह पृथ्वी की सतह पर क्षेत्रों के सापेक्ष आकार को संरक्षित करता है। इसका अर्थ यह है कि यह प्रक्षेप भूमि को सटीक रूप से उसके सही अनुपात में प्रदर्शित करता है। प्रक्षेप की यह विशेषता इसे क्षेत्रों की तुलना करने और स्थानिक वितरण का सांख्यिकीय विश्लेषण करने के लिए उपयुक्त बनाता है।

सीधी अक्षांश और देशांतर रेखाएँ :

इस प्रक्षेप में, अक्षांश और  देशांतर रेखाएँ सीधी, समान दूरी वाली रेखाओं के रूप में दिखायी जाती हैं। इसके कारण मानचित्र पर दूरियों, दिशाओं और कोणों को सही (सटीक) रूप से मापना आसान होता है। यह नेविगेशन को सरल बनाता है और प्रक्षेप को बेसिक कार्टोग्राफि (बुनियादी मानचित्रण के कार्यों) के लिए उपयोगी बनाता है।

मानक रेखा के रूप में भूमध्य रेखा :

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप में भूमध्य रेखा को मानक रेखा के रूप में रखा जाता है, जिसका अर्थ है कि इसे बिना किसी विकृति के सटीक रूप से दर्शाया गया है। जैसे-जैसे कोई भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर और मानचित्र के किनारों की ओर बढ़ता है, क्षेत्र विरूपण उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है। यह विकृति भूमि के आकार को प्रभावित करती है, लेकिन यह उनके सापेक्ष क्षेत्रफल को प्रभावित नहीं करती है।

वैश्विक विस्तार (कवरेज) :

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप वैश्विक विस्तार प्रदान करता है। यह ध्रुव से ध्रुव तक फैला हुआ होता है। हालांकि, आकृति की विकृति के कारण, यह ध्रुवीय क्षेत्रों को सटीक रूप से प्रदर्शित करने के लिए कम उपयुक्त होता है। ध्रुवों के पास विकृति काफी बढ़ जाती है, जिससे भूआकृतियों का स्वरूप अतिरंजित हो जाता है।

न्यूनतम आकार विरूपण :

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप में यद्यपि भूमध्य रेखा से दूर जाने पर आकार में विकृति आ जाती है, यह विरूपण अन्य मानचित्रों की तुलना में न्यूनतम होता है। आमतौर पर इस प्रक्षेप का उपयोग अक्षांशों की एक निश्चित सीमा के भीतर के क्षेत्रों के मानचित्रण के लिए किया जाता है, खास कर ऐसे मानचित्रों में जहां समान क्षेत्र के प्रदर्शन की तुलना में आकार संरक्षण कम महत्वपूर्ण होता है।

----- उपयोग और अनुप्रयोग -----

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होता है, इसके प्रमुख अनुप्रयोगों में निम्न शामिल हैं :

मानचित्रण :

आमतौर पर यह प्रक्षेप विश्व मानचित्र बनाने के लिए उपयोग किया जाता है जिसका उद्देश्य महाद्वीपों और देशों के क्षेत्र को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करना होता है। यह वैश्विक स्थानिक विवरण (स्पेसियल पैटर्न) को समझने और विभिन्न भौगोलिक घटनाओं का विश्लेषण करने में मदद करता है।

शिक्षा और संदर्भ सामग्री :

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप पर आधारित मानचित्र व्यापक रूप से शैक्षिक कार्यों, मानचित्र, एटलस और अन्य संदर्भ सामग्री के रूप में उपयोग किए जाते हैं। इस प्रक्षेप पर आधारित मानचित्र एक परिचित विश्व के भूगोल का प्रदर्शन करते हैं जिसे समझना, समझाना और व्याख्या करना आसान होता है।

सांख्यिकीय विश्लेषण :

इस प्रक्षेपण के समक्षेत्र गुण के कारण इसे स्थानिक आंकड़ों का विश्लेषण करने और सांख्यिकीय अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसमें क्षेत्रों तुलनात्मक अध्ययन की सुविधा होती है और यह डेटा आधारित निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है।

पर्यावरण अध्ययन :

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप पर्यावरण अध्ययन के उपयोगी होता है। इसमें वनस्पति, भूमि उपयोग, जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों के वितरण के प्रतिरूप (पैटर्न ) का विश्लेषण शामिल है। यह इन कारकों के वैश्विक स्तर पर वितरण और अंतर्संबंधों को समझने में मदद करता है।

भ-राजनीतिक विश्लेषण :

अक्सर भू-राजनीतिक विश्लेषण में जनसंख्या के वितरण, राजनीतिक सीमाओं और आर्थिक संकेतकों का अध्ययन करने के लिए समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप पर आधारित मानचित्रों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्षेपण की क्षेत्र को संरक्षित करने की क्षमता विभिन्न क्षेत्रों या प्रदेशों की सटीक तुलना करने में सहायक होता है।

महत्व

समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप का महत्व इसके द्वारा क्षेत्र के संरक्षण और उचित आकार के प्रदर्शन के बीच संतुलन में निहित है। यह भूक्षेत्र के सापेक्ष आकार को सटीक रूप से चित्रित करके, स्थानिक विश्लेषण और विभिन्न भौगोलिक घटनाओं के वितरण को समझने और समझाने के लिए एक उपयोगी होता है। मानचित्रण, शिक्षण और अनुसंधान में इसका व्यापक उपयोग किया जाता है। इसे स्थानिक विश्लेषण के लिए एक उपयोगी प्रक्षेप माना जाता है।

निष्कर्ष:

अंत में, समक्षेत्र बेलनाकार प्रक्षेप एक बहूउपयोगी मानचित्र प्रक्षेप है जो कुछ आकार की सटीकता को छोड़ कर समान क्षेत्र के प्रदर्शन के लिए उपयोगी है। क्षेत्र का समान संरक्षण, सीधे अक्षांश और  देशांतर और वैश्विक विस्तार सहित इसकी अन्य विशेषताएं, इसे एक विस्तृत अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाती हैं। इसकी न्यूनतम आकार विकृति, क्षेत्रों को सटीक रूप से प्रस्तुत करने की क्षमता के कारण, इसे मानचित्रकारों और शोधकर्ताओं के लिए उपयुक्त बनाती है।

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